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लेखनी कहानी -30- Sep-2022 dil sambhal ja jara phir Mohabbat karne chala hai tu. episode 40



अजूनी जा ही रही होती है कि सामने से राधिका आ जाती है, जिसे सामने देख अजूनी उछल जाती है डर के मारे

"क्या हुआ बहन कहाँ जा रही है इतनी जल्दी में, सब ठीक तो है " राधिका ने पूछा

"राधिका मुझे अभी देर हो रही है, मैं तुझे आन कर सब बताती हूँ " अजूनी ने कहा


"ऐसा भी क्या काम है तुझे जो तू इस तरह घोड़े पर सवार हो कर जा रही है, सच सच बता कोई परेशानी की तो बात नही, मैं चलू तेरे साथ " राधिका ने पूछा


"नही नही ऐसा कुछ नही है, मैं आकर बताती हूँ सब तफसील से " अजूनी ने कहा


"चल ठीक है आराम से जाना, मेरी ज़रूरत हो तो बस फ़ोन कर देना " राधिका ने कहा

"ठीक है मेरी माँ, तुझे ही बुलाऊंगी अब जाने भी दे " अजूनी ने कहा और वहाँ से चली गई


"बहुत खुश लग रही है आज, भगवान बुरी नज़र से बचाये मेरी दोस्त को जहाँ जा रही है कामयाब हो कर लोटे " राधिका ने कहा अजूनी के जाने के बाद 


अजूनी ने रिक्शा किया और अपने स्कूल के पास बने पार्क में पहुंच जाती है,

अबीर भी बस पहुंचने वाला था। दोनों पहुंच जाते है और उनकी मुलकात भी हो जाती है

दोनों ही खामोश खड़े थे और एक दूसरे को प्यार भरी नज़रो से देख रहे थे, अजूनी के बाल उड़ कर उसके चेहरे पर आ रहे थे।

अबीर भी बहुत खूबसूरत लग रहा था, उसके चेहरे पर हलकी हलकी दाढ़ी थी और वो एक चश्मा लगाए हुए था, सूट बूट में वो बिलकुल किसी हीरो से कम नही लग रहा था, आज तो अजूनी भी उसे इस तरह देख दंग सी रेह गई थी


दोनों ऐसे ही एक दूसरे को निहारते रहे तब ही भागता हुआ एक बच्चा अजूनी से टकराया और वो गिरने को थी लेकिन पास खड़े अबीर ने उसे अपने बाज़ूओं में थाम लिया अब उन दोनों की नज़रे सिर्फ और सिर्फ एक दूसरे को देख रही थी, वो आँखों ही आँखों में बातें कर रहे थे, लब तो खामोश थे और हलक सूख चुका था, बोलना चाह रहे थे किन्तु अल्फाज़ नही निकल रहे थे मुँह में से


तब ही अचानक अजूनी को कुछ दर्द सा महसूस हुआ, उसका पैर मुड़ गया था, दर्द महसूस होते ही उसने चीख मारी जिसे सुन अबीर घबरा जाता है और अजूनी को खड़ा कर देता है लेकिन वो पैर मुड़ जाने की वजह से फिर गिरने लगती है

इसलिए अबीर उसे गोदी में उठा कर पास पड़ी कुर्सी पर बैठा देता और कहता है " आप ठीक तो है "

अबीर का हाथ उसकी टांग पर रखा था, अजूनी ने उस तरफ देखा जहाँ उसका हाथ रखा था अबीर की नज़र भी पहुंच गई और वो घबरा कर दूर हटा और बोला " माफ करना, आप गिर ना जाए इसलिए मुझे मजबूरन आपको उठाना पड़ा माफ करना "

अजूनी ने अबीर की तरफ देखा और बोली " आप परेशान ना हो मैं ठीक हूँ, आप भी बैठ जाइये अजूनी ने पास रखी कुर्सी उसकी और बढ़ाते हुए कहा

"जी शुक्रिया, आप कुछ लेना पसंद करेंगी " अबीर ने पूछा

"ज,, ज,, जी मैं बस एक गिलास पानी पीना पसंद करूंगी " अजूनी ने कहा

दरअसल जहाँ अबीर ने अजूनी को बैठाया था वो पार्क में बना छोटा सा कैफ़े था।

अबीर और अजूनी एक दूसरे की तरफ देख कर नज़रे चुरा रहे थे। वो कुछ कहना चाह रहे थे किन्तु उनके दिल की धड़कने इतनी तेज चल रही थी जिस वजह से वो चाह कर भी बात नही कर पा रहे थे।

तब अबीर ने ही शुरुआत की और बोला " आपको बुरा तो नही लगा मेरा आपको इस तरह यहाँ बुलाना, मैं चाहता हूँ हमारे दरमियान जो गलत फेहमीयाँ है वो मिट जाए क्यूंकि आप मेरे बेटे की टीचर है, आपसे आमना सामना कभी ना कभी होना ही है, इसलिए मैं चाहता हूँ की आज मैं आपको बता दू की मैं कौन हूँ ताकि आपके दिमाग़ में और उस छोटी बच्ची के दिमाग़ में जो मेरी छवि बनी है उसे मिटाया जा सके "


"अगर मुझे आपकी बात का बुरा लगा होता, तो मैं कल रात ही आपसे मिलने से मना कर देती और इस समय आपके साथ नही बैठी होती, मैं भी चाहती हूँ की सारी गलत फेहमीयाँ दूर हो जाए हम दोनों का आरुष के बहाने कभी ना कभी आमना सामना होना लगा ही रहेगा, मैं भी नही चाहती की मैं भी आपके लिए कुछ बुरे विचार अपने मन में रखु  इसलिए मैने आपसे मिलना सही समझा, आप बताइये क्या काम है मुझसे और क्या बताना चाहते है "अजूनी ने कहा

"ऐसा तो मेरी जिंदगी में कुछ ऐसा खास नही जो मैं बताऊ, लेकिन फिर भी मुझे आपसे कुछ कहना है, मैं अपने किए पर शर्मिंदा हूँ जो कुछ भी मैने आपके साथ बस स्टॉप पर किया, आप पर हाथ उठा कर  जबकी आप तो आरुष की मदद मुझे ढूंढ़ने में कर रही थी,उसके बाद स्कूल में भी मैने आपको गलत समझ लिया जबकी आप तो उसे प्यार करने आयी थी और मैं आपको क्या समझ बेटा लेकिन उसके बावज़ूद भी आपने मेरे बेटे का दाखिला अपने स्कूल में कर दिया और उस दिन जब आप उसे घर छोड़ने खुद चली गई थी मुझे फ़ोन भी किया पर मैं भूल गया था की मैं एक बाप भी हूँ, मेरे ऊपर एक 7 साल के बच्चें की ज़िम्मेदारी है, और मैं अपना मोबाइल स्विच ऑफ़ कर बैठा , और अपनी लापरवाही को एक्सेप्ट करने के बजाये आप को ही ना जाने क्या कुछ कह दिया, और जब सच का पता चला तो मैं खुद को बहुत ही बुरा समझ रहा था, इसलिए मैने खुद आपको मिलने बुलाया ताकि मैं आपसे माफ़ी मांग सकूँ, आप मुझे माफ कर देंगी ना " अबीर ने कहा उसकी आँखे थोड़ी नम सी थी

अजूनी सामने बैठी उसे देख रही थी  उसने एक गहरी सी सास ली और बोली " गलती तो मुझसे भी हुयी थी, मैने भी जाने अनजाने में ना जाने आपको क्या कुछ कह दिया जो मुझे नही कहना चाहिए था, बिना ये सोचे समझें की सामने वाला इंसान किस परिस्थिति से गुज़र रहा है,

मैं नही जानती थी की आप और आरुष एक ऐसे सदमे से दो चार है, जिससे निकलना आप दोनों के लिए आसान नही और मैं बेवक़ूफ़ बार बार आपकी दुखती रग पर हाथ रख कर उसे और दुखा देती थी, जब ही तो आपको और गुस्सा आ जाता था , मिस्टर अबीर मुझे आपके साथ हुए हादसे का इल्म है  उस दिन जब मैं आरुष को छोड़ने आपके दोस्त के घर गई थी तब , आपके दोस्त की पत्नि ने मुझे सब बता दिया था आपके बारे में, उस दिन के बाद मेरे सीने पर भी एक बोझ सा था, मुझे भी आपसे माफ़ी मांगना थी जो कुछ मैने कहाँ और सोचा आपके बारे में, आपकी पत्नि बहुत ही किस्मत वाली थी जिसे आप जैसा पति मिला, और मैं ना जाने क्या कुछ कह गई जाने अनजाने में, हो सके तो मुझे भी माफ कर देना, मैं भी शर्मिंदा हूँ "

दोनों एक दूसरे की तरफ देख रहे थे, मानो अभी कुछ और भी कहना हो जैसे उन्हें लेकिन तब ही वहाँ वेटर आता और पूछता  " आप दोनों को कुछ चाहिए  "

"माफ करना मैं पूछना भूल गया, आप चाय पिएंगी या कॉफ़ी  या कुछ और " अबीर ने पूछा 


"इन सब की कोई ज़रुरत नही " अजूनी ने कहा

"कुछ तो लेना पड़ेगा आपको, नही तो मैं समझूगा आपने मुझे माफ ही नही किया " अबीर ने कहा


अजूनी ये सुन थोड़ा मुस्कुराती और कहती " ठीक है , मैं चाय पीना पसंद करूंगी  "

"दो चाय ले आना  " अबीर ने कहा सामने खड़े वेटर से


दोनों एक दूसरे को देख रहे थे, चाय आ गई थी  दोनों ने चाय पीना शुरू कर दी

पार्क बहुत सारे लोगो से भरा हुआ था , सब लोग एक दूसरे का हाथ थामे पार्क में टहल रहे थे ।

एक बुढ़िया बुड्ढे भी एक साथ कुर्सी पर बैठे ठंडी हवा का आनन्द ले रहे थे ।


चारो और ख़ामोशी थी वो दोनों भी खामोश बैठे चाय पी रहे थे , कि अजूनी का फ़ोन बज उठा शायद रूही को याद आ रही थी  इसलिए उसने किसी से उसे फ़ोन कराया था ।

अजूनी उठ खड़ी हुयी रूही का फ़ोन सुन कर  और बोली " मुझे जाना होगा, रूही इंतज़ार कर रही होगी "

अबीर भी उठ खड़ा हुआ और बोला " मैं भी जा ही रहा हूँ, आरुष भी राह देख रहा होगा, मिस अजूनी आपने मुझे माफ तो कर दिया ना "


अजूनी ने उसकी तरफ देखा और अपनी दोनों पलके झपकाई और बोली " आप भी मुझे माफ कर देना "


वो दोनों एक साथ टैक्सी स्टैंड की और चलने लगे, अजूनी चुपके चुपके अबीर को देख रही थी, ना जाने क्यू उसको उसके साथ चलना अच्छा लग रहा था, दिल में कुछ हलचल सी हो रही थी, मन कर रहा था  की ये रास्ता और लम्बा हो जाए ताकि वो उसके साथ चलती रहे

दोनों टैक्सी स्टैंड पर खड़े टैक्सी का इंतज़ार कर रहे थे , बहुत देर बाद एक टैक्सी आन पहुंची  दोनों को ही घर जाना था , आज ज्यादा टैक्सी भी नही थी  इसलिए दोनों एक ही टैक्सी में बैठ गए क्यूंकि दोनों के रास्ते एक ही थे  पर मंजिल अलग अलग थी ।


अबीर की निगाह भी ना चाहते हुए अजूनी को देख रही थी , अब जाकर अबीर को कुछ अच्छा लगने लगा  जब अजूनी ने उसे माफ कर दिया, लेकिन ना जाने क्यू अबीर का दिल बहुत तेज धड़क रहा था, उसका अपने उस धड़कते दिल पर मानो कोई काबू ना रहा हो।

दोनों के बीच कोई बातचीत नही हुयी थी, बस दोनों अपने दिल की केफियत को जानने की कोशिश कर रहे थे  की अचानक टैक्सी रुकी और बोली " मैडम आपने जो पता बताया था वो आ गया  "

"जी,,, जी, यही रोक दीजिये मैं यहाँ से पैदल चली जाउंगी " अजूनी ने कहा और रिक्शा का किराया देकर उतर गई 

अबीर ने मना भी किया लेकिन फिर भी वो अपना किराया देकर उतर गई ।

अबीर जो की रिक्शा में बैठा अजूनी को इस तरह दूर जाता देख रहा था, अजूनी भी उसे पलट कर एक बार देखना चाहती है, किन्तु डर रही थी और आखिर कार उसने अपने दिल की सुनी और एक बार उसे पीछे मुड़ कर देख लिया, अबीर भी उसे देख थोड़ा मुस्कुराया और ना जाने क्यू उसका हाथ उठा और उसने हाथ हिला कर उसे बाय कहा

अजूनी भी मुस्कुराई और घर की और चलने लगी , वो भी मन ही मन खुश थी, उसके सीने का भी बोझ हल्का हो गया था


"साहब कहाँ जाना है  आपको? , या आपको भी यही उतरना है  " रिक्शा वाले ने पूछा 

"नही नही मुझे आगे जाना है  " अबीर ने कहाँ 


दोनों घर आ चुके थे , अबीर अभिमन्यु के घर आ चुका था, विशाका ने खाना बना लिया था , उन सब ने खाना खाया 

अबीर के चेहरे पर एक अजीब सी ख़ुशी जो कही खो सी गई थी ,आज इतने दिनों बाद उसे देख  अभिमन्यु अंदर ही अंदर खुश नज़र आ रहा था, अब उसे जानना था की आखिर इसके पीछे की वजह क्या है ,


अजूनी भी आज खाना खाते समय कही खो सी गई थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी, कमला जी उसे इस तरह देख खुश थी और बोल पड़ी " क्या बात है, जबसे बाहर से आयी है  बहुत खुश नज़र आ रही है , कुछ हुआ है क्या "


"नही माँ,आप  ही तो कहती हो खुश रहा कर, तो अब बस खुश रहने की प्रैक्टिस कर रही हूँ " अजूनी ने बात को घुमाते हुए कहा 

." अच्छा ठीक है , खुश रहा कर  " कमला जी ने कहाँ

अजूनी खाना खा कर अपने कमरे में चली जाती है, और बिस्तर पर लेट कर कही खो जाती है।


उधर अबीर भी खाना खा कर आरुष को लेकर अपने घर चला जाता है 

अभिमन्यु उसे रोकना चाहता है  पर वो रुकता नही है ।

अभिमन्यु शाम को उसकी तरफ आने का कहता है।

अबीर घर आकर  अपने कमरे में चला जाता है, आरुष बाहर बैठ कर कार्टून देखने लगता है 

अबीर कमरे में लेटा ना चाहते हुए भी अजूनी के बारे में सोचने लगता है 


अबीर लेटा हुआ ही था की उसका मोबाइल बज उठा , उसने देखा तो घर से फ़ोन था ।


अबीर ने फ़ोन उठा कर  बात की, फ़ोन पर शालिनी जी थी 

अबीर की आवाज़ सुन उन्हें अच्छा लगा , आज बहुत दिनों बाद अबीर की आवाज़ थोड़ी बदली हुयी थी, और वो खुश भी नज़र आ रहा था ।


शालिनी जी ने बहुत देर अबीर और आरुष से बात की, दोनों से बात कर उन्हें बहुत अच्छा लगा ।


शालिनी जी को महसूस होने लगा था कि अबीर अब सही हो रहा है,

सुखदेव जी उनके चेहरे कि चमक देख पूछने लगे " क्या हुआ भाग्यवान, आज बड़ा खुश लग रही हो बेटे से बात करने के बाद, वैसे तो अक्सर उदास हो जाती हो "

"ना जाने क्यू, आज अबीर कि आवाज़ में एक जोश सा था, मानो वो वहाँ जाकर बदल रहा हो, आज उसने किसी भी तरह की ऐसी बात नही की जिससे लगे की वो उदास है , आज उससे बात करके मुझे बहुत संतुष्टि सी मिल रही है " शालिनी जी ने कहा

"अच्छा, कही अबीर हमसे कुछ छिपा तो नही रहा है, आप को ऐसा तो नही लगा, कही वो अपना दर्द छिपाने के लिए इस तरह बात कर रहा हो " सुखदेव जी ने कहाँ


"नही, मैं माँ हूँ अपने बच्चें की आवाज़ से ही पहचान सकती हूँ की वो मुझसे कुछ छिपा रहा है  या नही, आज वो खुश था और मैं जानती हूँ वो अंदर से भी खुश था , मुझे पता चल जाता अगर वो कुछ छिपाता या झूठ बोल रहा होता तो" शालिनी जी ने कहा

"फिर तो अच्छा है , अगर वो जिंदगी में आगे बढ़ रहा है  तो इससे अच्छी बात क्या होगी " सुखदेव जी ने कहा

"बस किसी की नज़र ना लगे  " शालिनी जी ने कहा और वहाँ से उठ कर  बाहर चली गई ।


बाहर तमन्ना और तुषार आपस में कुछ बहस कर रहे थे  किसी बात को लेकर।

शालिनी जी ने वहाँ रुकना अच्छा नही समझा और चुपके से कमरे में चली गई।

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2 Comments

Khan

01-Nov-2022 07:47 PM

Bahut khoob 😊🌸

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Shnaya

21-Oct-2022 07:13 PM

बहुत ही सुन्दर

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